14 Sept 2015

लहसुन का गुणागुण

लहसुन से लाभ

लस्सन, मेघा, स्मृति, बल एवं आयुवर्धक आँखों के ज्योति ठीक करता है पुरुष के शुक्रघात बढाता है तथा स्त्रियों की प्रसव-पथ सुगम करता है उवतियों की अंग सौष्ठव की समता लाता  है बच्चो के तन और मन की उन्नति में कम आता है |

देनिक जीवन में तुलसी की अवसयक्ता
  1. सरसों का तेल में लस्सन फ्राई करके उस तेल से मालिस करने से वातरोग का दर्द कम हो जाती है|
  2. ऐसा होता है की कभी कभी लोग खाना-पीना  ठीक करने  से भी शारीर सुखा ही रह जाता है ऐसी अवस्था में एक-दो लस्सन पिसकर आधा किलो दूध में उबालकर कुछ दिन पिने से वजन बढ़ेगी|
  3. हल्का गरम दूध के साथ एक-दो पिसा हुआ लस्सन लेने से शुक्र की तरलता होती नहीं है एवं शारीर-छय  तथा अस्थि-छय को कम करता है|
  4. योवन के चले जाने का भय हो तो, दो-तीन लस्सन, गाय की घी में फ्राई कर के मक्खन मिलाकर खा  लिजिए |  जल्द ही उस्न-गरम पानी भी पिजिये |  आटा  के साथ पिसा हुआ लस्सन मिलाकर रोजी या पुडिया बना कर खा सकते है सत्तू के साथ पिसा हुआ लस्सन , घी , थोडा सा सक्कर मिलाकर भी खा सकते है |
  5. सर्दी नहीं लगने पर भी कभी कभी सिर- दर्द हो सकती है |  ऐसे में एक-दो बूंद लस्सन का रस नस्य (नाक में डालना) करने से सिर- दर्दकम हो जाएगी |
  6. दुबला पतला बच्चों का वजन बढाने के लिए चालव के साथ दही की धोल और एक चतुथर्स लस्सन नियमित रूपसे से देने से उपकार होगी |
  7. पेट में वायु की पीड़ा होने पर ठंडा पानी के  साथ दो से पाच बूंद लस्सन- रस लिजीए |
  8. लस्सन जीवाणुनासक है लस्सन ज्यादा परिमाण में आधा पीसकर रखने से घर जीवाणु से मुक्त होगा |
 सोचने लायक कुछ बात :-
  1. ऋतू वयस एब अभ्यास के अनुसार लस्सन की मात्रा ठीक करना है शुरु में अल्प मात्रा से लेकर लस्सन की मात्रा बढाता है यहाँ जो मात्रा दिया है वही शुरु में लेना है . ऐसा कोई बात नहीं|
  2. लस्सन के गंध के वजह से कई लोग ले नहीं सकते है लस्सन अगले दिन दही में भिगोने से गंध नहीं होगी  इसके अलावा घी , शाक-इत्यादि के साथ ले सकते है|
  3. दही मांस मछली सब्जिया, दूध-ये सब चीजो के साथ लस्सन खा सकते है खून दूषित होने से यह बचाएगा|

निम के पत्ते रोग-प्रतिरोधक

नीम से लाभ
नीम की पत्तियां वसंत रोग को हटाने के लिए दिब्योशाध है यह खाने से भोजन में रूचि बढती है इसमें जीवाणु को नाश करने की सकती हितो है |
स्वस्थ रहनेमे नीम :-
  1. वसंत ऋतू में इनका सेवन करने से मिसल्स, वसंत अदि रोग से मुक्ति मिल जाती है |
  2. अमाशय रोग में या हजम ठीक से न होने पर नीम की पेढ़ का छाल गरम पानी में भिगोकर, अगले दिन उसको छान कर पीजिये |
  3. हर रोज आठ दस नीम की पत्ति चार पांच दाने काली मिर्च के साथ चबाकर खाने से और साथ-साथ खाने की विधि- निषेध मानने से रक्क्त में सक्कर की मात्रा जरुर कम होजाएगी |
  4. जरा सा नीम-पत्ता की रस (छः बूंद) दूध में मिलाकर पिने से दृष्टीशक्ति बढेगी अस्प्स्थ दखाने वाले का उपकार मिलेगा |
  5. हर महीने एक बार ही पिसा हुआ नीम की पत्ति का लेपन सारा बदन पर करने से किसी भी तरह की चरम रोग से मुक्ति पाएँगे क्यों की यह जीवाणु नासक है |
  6. २०-२२ नीम की पत्तियां और पच्चीस ग्राम हल्दी एक साथ पीस कर बदन पर लेपन करने से किसी भी प्रकार की चर्म रोग नहीं होगी बदन उज्जवल एवं मुलायम हो जायेगा | यह प्रयोग हप्ते में एक बार करना होगा |
  7. एक चम्मच नीम की पत्तियों का पावडर, एक चम्मच सहद के साथ, खली पेट में सेवन करने से  कृमि पीड़ा और अमासय- रोग को नियंत्रित कर सकते हैं |

पियाज का गुणागुण

पियाज  के फायदे

  1. दो-चार चम्मच प्याज का रस, दो चम्मच मधु दोनों मिला कर हर रोज सवेरे पिने से पुरुषत्व  वृद्धि होगी | 
  2. पियाज (प्याज) खाने से गला साफ हो जाता है चेहरे पर रोनक आजाती है दांत सफेद होती है ; स्मरण शक्ति तथा स्त्रायु बढती है |
  3. पियाज का रस और करेले का रस एक छोटा सा प्याला पिने से अजीर्ण ठीक कर सकते है |
  4. बच्चो का अनिंद्र होने पर दो  काटा  हुआ प्याज एक लिटिर उबला हुआ पानी भिगो कर रखिये दस मिनट के बाद या पानी ठंडा होने पर छान लीजिये छोटे बच्चो के लिए : एक चम्मच यह पानी में पांच बूंद सहद मिलकर पिलाइए शीघ्र ही गहरी नींद आजायेगी |
  5. बच्चे जब चावल खानाशुरु करते है (शुरू शुरू में) और साथ-साथ में कृमि रोग से कष्ट पते है , उन्हें प्याज का रस पिलाने से कृमि-पीड़ा एवं बदहजम दूर होजाएग |
  6. यदि किसी ब्यक्ति को अतिरिक्त मलत्या से सरीर का तापमान कम हो जाता है तो प्याज रस के साथ (चार चम्मच) एक चम्मच अद्रक का रस एवं थोडा सा काली मिर्च मिलाकर पीने से तापमान बढ़ेगी और पेट की समस्या भी दूर हो जाएगी |
  7. एक चम्मच सफेद प्याज का रस, के चम्मच घी और एक चम्मच करके अद्रक का रस एवं सहद का रस मिलाके इक्कीस दिन सेवन करने से पुरुषत्व-वृद्दि होगी |
  8. गर्मी के करण अगर सिर दर्द हो तो प्याज शुन्घने से आराम मिलेगी या फिर पिसा हुआ प्याज पांव के तले पर लेपन करने से भी आराम मिलेगा |
  9. प्याज का रस, दाद और खुजली के लिए दिब्य औषधि है |
  10. प्याज का रस माथे पर लगाने से  उकून (lice) से मुक्ति मिलेगी प्याज का लेप फोड़े से बांध कर रखने पर फोड़ा जल्दी से पाक जायेगा |
जरुरी सावधानिय : -
प्याज को कट कर मत रखिये काटने के बाद जल्द ही खा लेना चहिये प्याज वायुनाशक है मगर पकाने से यह गुण नष्ट हो जाये ही और काट के रखने से भी यह गुण नष्ट हो जाएगी

रोग मुक्ति के लिए प्याज : -
  1. बालो का गिरना बाल पतला होना या छोटी सी उम्र में बालो का पकना ऐसे स्थिति में प्याज का रस और सहद एक साथ मिला कर सिर पर लगाने से अच्छा होगा ।
  2. सिर दर्द के लिए : पियाज को कुंच कर कपाल पर लगाइए कुंचा हुआ प्याज खाने से भी सिर दर्द कम होता है
  3. कान की पीड़ा : प्याज का रस गर्म कर के दो तीन बूंद कण में डालिए
  4. स्त्रायु-रोग या स्त्रायु-दौर्वलया या स्त्रायु विकाश : प्याज खाने से या प्याज सूंघने से उपकार होगा
  5. नारियो की हिस्टीरिया (मूर्च्छा) : प्याज का रस सूंघना अच्छा है
  6. अनिद्रा (नींद नहीं आना ) : हर रोज प्याज खाना है
  7. अर्श : कूचा हुआ प्याज दही के साथ खाने से आराम मिलेगी
  8. ट्यूमर  ग्लैंड की जलन या ग्लैंड का फुल जाना : प्याज फाई (भाजी) करके, सहद के साथ मिलकर लगाने से आराम होगी
  9. बिछुआ ,मधुमक्खी, इत्यादि काटने पर : कूचा हुआ प्याज का लेप लगाना अच्छा होगा

13 Sept 2015

तुलसी का गुणागुण

Tulsi se Labh
तुलसी आयुर्वेद में कई ब्याधियों की प्रतिविधी है तूलसी हृदयरोग में  एक महा औसध  है तुलसी पतता के सेवन में कोई समय की पावंदी नहीं हैं जब मन चाहे, यह चबा कर खा सकते हैं | 
देनिक जीवन में तुलसी की अवसयक्ता :-
  1.  कार्तिक के महीने में , प्रतिदिन प्रातःकाल दो तीन तुलसी की पतिंया ,खाली पेट में चबा कर   खाने से पूरा साल में कोई भी रोग नहीं होंगी
  2. तुलसी मानसिक एकाग्रता लेन में दिब्याषाध है | तुलसी के पास खड़े होने या बैठने से ही मानसिक एकाग्रता ( mental concentration) होती है  सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण के समय , पिने की पानी में तुलसी-पता रखने से अंतरिक्छ प्रदुषण का प्रभाव नहीं पड़ेगा |
  3. तुलसी अध्यात्मिक शक्ती का प्रतिक है तुलसी के पास दीप जलाकर, प्रद्क्छिन करने से मन को अपूर्व शांती मिलती है
  4. तुक्सी की कुछ गंध ब्लदडप्रेसर बढ़ने से बचाती है|
  5. तुलसी की पत्तीयाँ नहाने के पानी में डाल कर, कुछ देर रखने के बाद नहा लिजिये  कोई भी तरह की चार्म रोग से मुक्त हो रहेंगे|
  6. पिने के पानी में यह डालने से कोई भी किस्म का उदर–पीड़ा नहीं होगी|
  7. तुलसीमाला या कंठी धारण करने से शरीर सर्वदा स्फूर्तिमय और स्वस्थ रहेगा|
  8. तुलसी कामवासना के ऊपर नियंत्रण करती है काम शक्ति को बढाती है पर उसको स्तविक एवं सिमित करती है|
  9. तुलसी की पत्तिया चबाने  से दन्तछय से नहीं होता है दांतों को उज्ज्वलता और मजबूत बनाती है दांतों का आयु बढाती है |
  10. तुलसी पत्ती  का रस  शारीर में मलने पर अस्थियों को मजबूती , शारीर को को कांति एवं स्वस्थता मिलती है |

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